श्री गोपालजी मंदिर ( कैमरी)
महंत परम्परा
अध्यक्ष व मुख्य पुजारी:
श्री सुरेशचन्द्र शर्मा S/o श्री स्व. जगमोहन शर्मा
ग्राम + पोस्ट: कैमरी
तहसील: नादौती, जिला: करौली
📞 7014240856
कोषाध्यक्ष:
श्री रौनक शर्मा S/o श्री सुरेश चन्द्र शर्मा
ग्राम + पोस्ट: कैमरी
तहसील: नादौती, जिला: करौली
📞 9636967480
श्री गोपाल जी का मंदिर
- यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है, लगभग 5000 वर्ष पुराना बताया जाता है।
- मंदिर का संबंध सीधे भगवान श्रीकृष्ण से माना जाता है।
- मान्यता है कि भगवान कृष्ण गाय चराते-चराते यहाँ तक आ पहुँचे थे।
ऐतिहासिक महत्व
- गाँव कैमरी पर हुए आक्रमण के समय के सभी हथियार मंदिर के तहखाने में सुरक्षित रखे गए थे।
- ये हथियार आज भी वहीं संरक्षित हैं और बहुमूल्य माने जाते हैं।
विशेष रहस्य
- कहा जाता है कि श्री राधा-कृष्ण गोपाल मंदिर से एक सुरंग निकलती थी।
- यह सुरंग सीधे बावड़ी तक जाती थी और उस समय इसे सबसे सुरक्षित मार्ग माना जाता था।
श्री राधा कृष्ण गोपाल मंदिर
श्री कृष्ण भगवान विष्णु के 16 कलाओं युक्त अवतार हुए हैं, जो प्रकृति प्रेमी , गौ रक्षक के रूप में सम्पूर्ण भूमंडल में विख्यात हैं।
श्री कृष्ण का कैमरी गांव से संबंध को तीन स्तरों पर देखा जा सकता हैं जो निम्न प्रकार है:_
- माना जाता है कि बाल्यकाल में श्री कृष्ण अपने बाल सखाओँ के साथ पानौरी गांव से गाय चराते हुए कैमरी गांव पहुंचे यहां के करील कुन्जो को देखकर प्रफुल्लित हो गए और अपने सखाओंं से कहा कि हे, सखाओ! मेरी इच्छा है की में यहीं बस जाऊं। भगवान ने अपनी गायों को जिस कुंड में पानी पिलाया उसका नाम गौ कुंड रखा गया जो आज भी जनकपुर और जगदीश भगवान के मंदिर के बीच रास्ते में स्थित है।
कालांतर में जब भगवान श्री कृष्ण अपने भाई बलदाऊ के साथ विद्या अध्ययन करने हेतु गुरु संदीपन जी के आश्रम उज्जैन गए उस समय भगवान ने मथुरा से बृज क्षेत्र के पानौरी से सेवर का घना पक्षी अभयारण्य जहां आज भी कदम कुंज पाए जाते है, के रास्ते कैमरी गांव आए , यहां एक रात्रि विश्राम किया। यहां के ग्वाल वालों से मिले , उन्हें वचन दिया की मैं इस पावन धरा पर आता रहूंगा।
यहां के ग्रामीण, ग्वाल बाल भगवान की भक्ति में इस प्रकार डूब गए की उन्होंने भगवान की स्मृति में कैमरी के बीचों बीच श्री राधा कृष्ण गोपाल मंदिर (ठाकुर जी के मंदिर )की स्थापना की ।
यहां भगवान की रास लीलाएं होने लगी। बरसाना की होली, गोवर्धन पूजा, गौ पूजा आदि कार्यक्रम आयोजित होने लगे।जिन्हें आज भी बारह गांव खटाना, सर्व समाज मिलकर कैमरी की पवन धरा पर मिलकर मनाते हैं।
मान्यता है कि यहां भगवान ने कैमरी में रात्रि निवास किया तो ग्रामीण महिलाओं ने रास की इच्छा जाहिर की भगवान ने राधा जी के साथ रास रसाया।
माना जाता है कि इसी स्मृति में कैमरी गांव में राधा कुंड बनाया गया जो आज भी मौजूद है। - एक मान्यता के अनुसार महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद अर्जुन के साथ भगवान कृष्ण ने अपने भक्त मोर ध्वज की परीक्षा लेने के लिए पुनः इसी मार्ग से यात्रा की । भगवान कृष्ण और अर्जुन ने साधु का भेष धारण किया और पुनः कैमरी बुर्ज़ पर कुछ समय के लिए इसी प्रांगण में विश्राम किया। कैमरी का प्राचीन नाम कैमरी बुजुर्ग था, जो इसी बुर्ज के नाम पर पड़ा था।
आज भी बारह गांव में शादी के समय पर दूल्हा, नव दंपत्ति श्री राधा कृष्ण गोपाल मंदिर पर दर्शन करने जाते हैं।