🙏 जय जगदीश हरे 🙏
श्री जगदीश जी की आरती व भोग की समय सारणी
क्रमांक | समय | पूजा / आरती / भोग | विशेष भोग / विवरण |
---|---|---|---|
1 | प्रातः 5:00 बजे | मंगल आरती | — |
2 | प्रातः 8:00 बजे | बाल भोग | मक्खन-मिश्री का भोग |
3 | 11:30 AM | राजभोग | अटकां चावल |
4 | सायं 7:00 बजे | संध्या आरती | — |
5 | सायं 8:30 बजे | शाम आरती | गाय के दूध का भोग |

श्री जगदीश जी मंदिर : दैनिक दर्शन समय
- सुबह का समय → सुबह 5:00 AM से दोपहर 12:00 PM तक
👉 इस समय तक दूर-दर्शन से आरती व दर्शन की सुविधा उपलब्ध रहती है। - दोपहर का समय → 12:00 PM से 4:00 PM तक
👉 इस समय मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। - शाम का समय → 4:00 PM से रात्रि 9:00 PM तक
👉 मंदिर के कपाट पुनः खोले जाते हैं।
👉 शाम की आरती (8:30 PM) के बाद मंदिर 9:00 PM पर बंद हो जाता है।
श्री जगदीश जी मंदिर में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम

श्री जगदीश का मेला
- मेला आयोजन तिथि: प्रतिवर्ष अमावस्या से बसंत पंचमी (माघ शुक्ल पक्ष पंचमी, विक्रम संवत कलेंडर के अनुसार
- यह मेला पांच दिवसीय वार्षिक मेला है।
- स्थान: कैमरी गाँव, जिला करौली (राजस्थान)।
- मुख्य आकर्षण: मंदिर के सभी धार्मिक आयोजनों में जगदीशजी का मेला सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
- श्रद्धालु सहभागिता: लाखों लोग मेले में भाग लेते हैं।
- धार्मिक गतिविधियाँ:
- विशेष धार्मिक अनुष्ठान
- भव्य रथयात्रा
- सांस्कृतिक व पारंपरिक आकर्षण:
- ग्रामीण परिधान पहनकर आई महिलाएँ
- श्रृंगारित हाथी
- झांकियाँ
- ऊँट की सवारी
- भजन-कीर्तन का आयोजन
- माहौल: बच्चों की चहल-पहल, हँसी-खुशी और उत्सव का वातावरण।
रथ यात्रा का आयोजन
- समय: रथ यात्रा का प्रारंभ लगभग मध्यान्ह 12 बजे होता है।
- स्थान: रथ यात्रा श्री जगदीशजी मंदिर से प्रारंभ होकर जनकपुर स्थित माता जानकी मंदिर तक जाती है।
- विशेष अनुष्ठान:
- माला की बोली लगाना:- रथ की पूजा करने के बाद भगवान को माला चढ़ाई जाती है, भगवान को चढ़ाई जाने वाली मालाओं के लिए बोलियां लगाई जाती हैं, जो सबसे ज्यादा रूपये की बोली लगाता है माला उसी को दी जाती है. इसके बाद माला को बड़े धूमधाम से जगदीश जी महाराज की जय जयकार के साथ भगवान को अर्पित किया जाता है।
- संदेश व प्रवचन:
- ईश्वर द्वारा मानव जीवन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना।
- समाज में फैली कुरुतियों को दूर करने पर चर्चा।
- सांस्कृतिक व खेलकूद कार्यक्रम:
- घुड़दौड़ 🐎
- ऊँट दौड़ 🐪
- कुश्ती दंगल 🤼♂️
- नाल प्रतियोगिता 💪


प्रतिमाह अमावस्या का मेला
- प्रतिमाह श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए भी जगदीश मंदिर (कैमरी) में। अमावस्या के दिन भी मेले का आयोजन होता है जिसमे दूर-दराज में भक्त अपनी श्रद्धा से आते है तथा ‘जय जगदीश” का जाप करते हुए अपनी मनोकामना पूरी करने की आस लगाते हैं।
- श्री जगदीश मंदिर के आस-पास लगभग 4-5KM तक अमावस्या के दिन बाहरी व्यापारी भी आकर मेले व हाट-बाजार कां आयोजन करते है ताकि सभी भक्तों तक आवश्यक पूजन सामग्री समय पर पहुंच सकें।
- अमावस्या का मेला सुबह से सायं 7 बजे तक चलता है जो शयन आरती के बाद समाप्त ही किया जाता है।
आषाढ़ का मेला
जगदीश धाम, कैमरी गाँव (करौली, राजस्थान) में भगवान जगदीश जी के मंदिर के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाता है. यह एक वार्षिक लक्खी मेला होता है जो हर साल आषाढ़ की दूज के अवसर पर लगता है, जिसमें राजस्थान और अन्य राज्यों से हजारों श्रद्धालु पहुँचते हैं. इस मेले के दौरान किसान सम्मेलन का भी आयोजन होता है. यह मेला 3 दिन चलता है


आषाढ़ का मेला
होली :- इसमें पुरुष ऊंट की खाल से बनी डोलची में पानी भरकर एक-दूसरे पर फेंकते है इस दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को रंग और गुलाल लगाते हैं, उन्हें गले लगाते हैं और त्योहार मनाते हैं। यहाँ की कोडेमर होली और लट्ठमार होली को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है धूलेण्डी के दूसरे दिन द्वितीया को जगदीश चौक में खटाना परिवार के सात पीढ़ी के महिला पुरुष अलग अलग खंदों में भाभियों से होली खेलते है। जगदीश चौक का ये नजारा अद्भुत और मनोरम लगता है। इस क्षेत्र को पूरे राजस्थान में खास पहचान दिलाता है। शाम छह बजे झाँकी निकाली जाती है जिसे रंदूकड़ी कहते है.
कैमरी, करौली की होली ‘डोलची और कोड़े मार होली’ के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ देवर-भाभी के बीच यह अनोखा उत्सव मनाया जाता है. होली के दूसरे दिन, देवर पानी से भरी बाल्टी (डोलची) से भाभियों पर पानी डालते हैं, जिसके जवाब में भाभियाँ कोड़े बरसाती हैं. यह सदियों पुरानी परंपरा गुर्जर जाति के खटाना गोत्र के 12 गांवों द्वारा मनाई जाती है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग कैमरी गांव पहुँचते हैं.
कैमरी की होली की विशेषताएं:
डोलची और कोड़े मार होली:
इस होली में देवर और भाभी के बीच एक मज़ेदार खेल खेला जाता है.
बाल्टी और कोड़े का आदान-प्रदान:
देवर पानी से भरी बाल्टी (डोलची) से भाभियों पर पानी फेंकते हैं, और भाभियाँ उनका जवाब कोड़े बरसा कर देती हैं.
परंपरा और संस्कृति:
यह होली हंसी-मजाक, पारंपरिक गीतों और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत उदाहरण पेश करती है.
गुर्जर समुदाय का योगदान:
यह परंपरा मुख्य रूप से गुर्जर जाति के खटाना गोत्र के 12 गांवों द्वारा मनाई जाती है.
स्थान:
यह उत्सव करौली जिले के जगदीश Dham कैमरी में होता है.
यह परंपरा क्यों मनाई जाती है?
इस परंपरा के पीछे कोई विशिष्ट ऐतिहासिक कारण नहीं बताया गया है, बल्कि यह गुर्जर समुदाय की संस्कृति और उत्सव मनाने का एक अनूठा तरीका है, जिसमें हास्य और उल्लास का अनूठा संगम देखने को मिलता है.
इस तरह, कैमरी, करौली की होली देवर-भाभी के बीच खेलने वाली यह पारंपरिक डोलची और कोड़े मार होली राजस्थान की एक अनूठी सांस्कृतिक धरोहर
नोट:
- धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम (श्री जगदीश धाम मंदिर ट्रस्ट कमेटी द्वारा):
- रसिया दंगल 🎶
- लोकगीत 🎤
- राम-रसिया 🙏
- कीर्तन मंडलियाँ 🎼
- संदेश:
- श्रृंगारियों व श्रद्धालुओं को भक्ति मार्ग पर प्रेरित करना।
- भोजन प्रसाद व्यवस्था:
- सभी भक्तों के लिए निःशुल्क भोजन की व्यवस्था।
- मुख्य प्रसाद – खीर व पुआ 🍚🍮

पदाधिकारी सूची

अध्यक्ष : श्री घनश्याम खटाना (से.नि. उपनि.रे.सु.ब)
📞 7740010255

कोषाध्यक्ष : कैप्टन (से. नि.) शीशराम खटाना
📞 9832800917

उपाध्यक्ष : कैप्टन (से. नि.) राजाराम गुर्जर
📞 7023809303
