मंदिर एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसका उद्देश्य भक्तों के लिए भगवान की सेवा का स्थान बनाना है। ये कोई पूंजीगत गतिविधियाँ नहीं करते, जिससे दान ही उनकी आय का एकमात्र स्रोत बन जाता है। भक्त श्री जगदीश भगवान का नाम जप सकते हैं, व्याख्यानों और उपदेशों में भाग ले सकते हैं, और मंदिर में सामूहिक प्रार्थना भी कर सकते हैं।
इन सभी गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है। यदि कोई मंदिर में दान करता है, तो उसे अनंत आशीर्वाद प्राप्त हो सकते हैं क्योंकि उनका छोटा सा योगदान लोगों को माता जी से जुड़ने का एक मंच प्रदान कर सकता है। इसलिए मंदिर में धन दान करना एक बहुत ही पुण्य कार्य है जिसे अवश्य करना चाहिए।
मंदिर को दान किया गया धन मंदिर के सभी संसाधनों के वित्तपोषण में उपयोग किया जाता है, जिसमें फर्नीचर, पुस्तकें, साथ ही दैनिक रखरखाव और भक्तों को सर्वोत्तम सुविधाएं प्रदान करना शामिल हो सकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी विशेष मंदिर को दान किया गया धन पूरी तरह से उस मंदिर की सेवाओं के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे किसी भी तरह के दुरुपयोग की संभावना समाप्त हो जाती है।
मंदिर के रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने के साथ-साथ मंदिर में आने वाले भक्तों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए अधिकारी दान के पैसे का उपयोग करते हैं।
आपके द्वारा ऑनलाइन दान की गई राशि अनगिनत भक्तों को श्री जगदीश भगवान जी के करीब लाकर उनकी सेवा करने में मदद कर सकती है। मंदिर को श्री जगदीश भगवान जी का घर माना जाता है श्री जगदीश भगवान जी के घर में दान देकर आप अपनी सेवा करने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं और कई अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
मंदिरों में दान देने का नया और सही तरीका है ऑनलाइन दान। अभी अपना योगदान दें और आशीर्वाद की वर्षा के हकदार बनें।
भगवान श्री जगदीश को पोशाक भेंट करना या उनके ‘वेश’ धारण करने का महत्व उनके भक्तों के लिए गहन धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है। यह विभिन्न त्योहारों और रीति-रिवाजों का अभिन्न अंग है, जहां पोशाकें भगवान के स्वरूप, उनके लीलाओं और विभिन्न संप्रदायों के समन्वय को दर्शाती हैं। यह भक्तों की भक्ति, प्रेम और भगवान के साथ गहरा संबंध स्थापित करने का माध्यम है।
भगवान श्री जगदीश की पोशाक भेंट का महत्व
विभिन्न त्योहारों के अवसरों पर देवताओं की पोशाकें बदलती हैं। यह त्योहार की प्रकृति के अनुरूप होती हैं, जैसे स्नान खासकर रेशमी वस्त्र वसंत पंचमी के दिन भगवान जगन्नाथ को पद्म बेशा (कमल के फूलों जैसी पोशाक) पहनाई जाती है,
सांस्कृतिक और धार्मिक समंवय:
भगवान जगन्नाथ की पोशाकें विभिन्न धार्मिक परंपराओं, और स्थानीय जनजातीय पूजा पद्धतियों को समाहित करती हैं। ये वेश विभिन्न संप्रदायों की आकांक्षाओं को पूरा करते हैं, जिससे यह धार्मिक और सांस्कृतिक संश्लेषण का प्रतीक बन जाते हैं।
• भक्ति और प्रेम की अभिव्यक्ति:
भक्तों के लिए, भगवान को पोशाक भेंट करना अपनी भक्ति और प्रेम व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह एक आत्मीय संबंध बनाने और भगवान को प्रसन्न करने की चेष्टा है।
• नित्य सेवा और अनुष्ठान:
श्री जगदीश मंदिर में देवताओं को प्रतिदिन वस्त्र पहनाना और भोग लगाना एक शुभ परंपरा है। विशेष वेशभूषाएं, फूल, आभूषण, चंदन और कपूर जैसी वस्तुओं के उपयोग से श्री जगदीश
भगवान को सजाया जाता है, जो उनकी सेवा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
वेशभूषाएं श्री जगदीश भगवान के विभिन्न लीलाओं और स्वरूपों का चित्रण करती हैं ,यह भक्तों को भगवान के विभिन्न रूपों से जोड़ती है।
🏦 बैंक विवरण
A/C HOLDER NAME :
M/S SHRI JAGDISH DHAM MANDIR TRUST SAMITI KEMARI
BRANCH NAME :
KEMARI
A/C No. :
52380100000001
IFSC CODE :
BARB0KEMKAR
पोशाक & भेंट
भगवान श्री जगदीश को पोशाक भेंट करना या उनके ‘वेश’ धारण करने का महत्व उनके भक्तों के लिए गहन धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है। यह विभिन्न त्योहारों और रीति-रिवाजों का अभिन्न अंग है, जहां पोशाकें भगवान के स्वरूप, उनके लीलाओं और विभिन्न संप्रदायों के समन्वय को दर्शाती हैं। यह भक्तों की भक्ति, प्रेम और भगवान के साथ गहरा संबंध स्थापित करने का माध्यम है।
भगवान श्री जगदीश की पोशाक भेंट का महत्व
विभिन्न त्योहारों के अवसरों पर देवताओं की पोशाकें बदलती हैं। यह त्योहार की प्रकृति के अनुरूप होती हैं, जैसे स्नान खासकर रेशमी वस्त्र वसंत पंचमी के दिन भगवान जगन्नाथ को पद्म बेशा (कमल के फूलों जैसी पोशाक) पहनाई जाती है,
सांस्कृतिक और धार्मिक समंवय:
भगवान जगन्नाथ की पोशाकें विभिन्न धार्मिक परंपराओं, और स्थानीय जनजातीय पूजा पद्धतियों को समाहित करती हैं। ये वेश विभिन्न संप्रदायों की आकांक्षाओं को पूरा करते हैं, जिससे यह धार्मिक और सांस्कृतिक संश्लेषण का प्रतीक बन जाते हैं।
• भक्ति और प्रेम की अभिव्यक्ति:
भक्तों के लिए, भगवान को पोशाक भेंट करना अपनी भक्ति और प्रेम व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह एक आत्मीय संबंध बनाने और भगवान को प्रसन्न करने की चेष्टा है।
• नित्य सेवा और अनुष्ठान:
श्री जगदीश मंदिर में देवताओं को प्रतिदिन वस्त्र पहनाना और भोग लगाना एक शुभ परंपरा है। विशेष वेशभूषाएं, फूल, आभूषण, चंदन और कपूर जैसी वस्तुओं के उपयोग से श्री जगदीश
भगवान को सजाया जाता है, जो उनकी सेवा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
वेशभूषाएं श्री जगदीश भगवान के विभिन्न लीलाओं और स्वरूपों का चित्रण करती हैं ,यह भक्तों को भगवान के विभिन्न रूपों से जोड़ती है।